Sunday, March 10, 2024

आपने में अपनापन - प्राकृत गाथा

संसारसुलहो होदि 
परेसु खलु परत्ताणुसंधाणं ।
अप्पणेसु अपणत्तं 
अणुसंहाणदुल्लहो होदि ।।


इस संसार में पराये लोगों में पराये पन को खोजना भले ही आसान हो लेकिन अपनों में अपनापन खोजना वास्तव में दुर्लभ है  । 

दूसरा अर्थ 

पर में पराये पन का बोध फिर भी आसान है लेकिन अपनी आत्मा में अपनापन दुर्लभ है - इस संसार में कितना आश्चर्य है ? 

कुमार अनेकांत
11/3/2024

Monday, February 19, 2024

णमो आयरियविज्जासायराणं


*णमो आयरियविज्जासायराणं*

समणपरंवरसुज्जं
सययसंजमतवपुव्वगप्परदं।
चंदगिरिसमाधित्थं 
णमो आयरियविज्जासायराणं ।।


श्रमण परम्परा के सूर्य , सतत संयम तप पूर्वक आत्मा में रमने वाले और चंद्रगिरी तीर्थ पर समाधिस्थ (ऐसे) आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी को हमारा कोटिशः नमोस्तु । 

विनयवंत 

प्रो फूलचंद जैन प्रेमी
डॉ मुन्नी पुष्पा जैन ,वाराणसी

प्रो अनेकांत कुमार जैन ,
डॉ रुचि जैन ,नई दिल्ली 

एवं 

सम्पूर्ण पागद-भासा परिवार

स्वावलंबन सूत्र

सावलंबणसुत्तं

सुणरट्ठो सुणभरहो
सिघ्घं सूणसिंहासणसंदेसं
सावलंबणसुत्तं
गोकरघाभारदभासा च

सुनो राष्ट्र ! ,सुनो भारत ! (आचार्य विद्यासागर जी के बिना अब) सूने पड़ चुके इस सिंहासन का संदेश भी शीघ्र सुनो ! कि गोरक्षा, हथकरघा,भारतनाम और मातृभाषा ये चार देश के स्वावलबनसूत्र मूलस्तंभ हैं ।

कुमार अनेकांत 
19/2/24

Thursday, February 15, 2024

वो मुझसे प्यार नहीं करती

वो मुझसे प्यार नहीं करती ?

रोज सुबह पांच बजे उठती है
बच्चों का टिफिन बनाती है
और मेरे लिए चाय 
अखबार छुपा देती है 
ताकि मैं जल्दी नहाकर
मंदिर हो आऊं 
जबरजस्ती मॉर्निंग वॉक पर 
ले जाती है
मेरा मनपसंद खाना भी नहीं देती है 
वैसा खाना देती है जिससे 
वजन न बढ़े और मैं स्वस्थ्य रहूं 
मुझे क्या पहनना है 
किस रंग का पहनना है
अधिकार पूर्वक तय करती है 
विश्वविद्यालय जाते समय 
पर्स, मोबाइल,पेन,रुमाल
बैग हाथ में दे देती है 
वहाँ पहुंचते ही फ़ोन करती है 
अच्छे से पहुंच गए न 
लंच के बाद पूछती है 
दवा ले ली न
इस बीच कपड़े धो देती है 
बाजार से सामान ले आती है 
बच्चों को स्कूल से लाती है 
शाम को फोन करती है 
कब तक पहुंचोगे 
शाम के खाने को देर मत करना
घर आते ही पूछती है दिन कैसा रहा ?
मेरी उलझने सुनती है 
सुलझाने की कोशिश करती है
कुछ नया लिखने को प्रेरित करती है 
कोई महंगी चीज ख़रीदकर दो 
तो डांटती है क्या जरूरत थी इतने खर्चे की
उसे डांस नहीं आता पर  
दिन भर नाचती है....सबकी सेवा में.... 
फोन करती है.....मगर मां बापू को, उनकी खैर पूछने,
सिर्फ अपना ध्यान नहीं रखती 
पूछो तो हँसकर कहती है 
आप ठीक तो मैं ठीक 
खुद के लिए नहीं जीती 
लेकिन मुझे कभी 
एक बार भी आई लव यू नहीं बोलती 
मगर कोई कह सकता है ?
वो मुझसे प्यार नहीं करती ?

जो खुद गुलाब है 
उसे क्या गुलाब दूं ?
जिसका हर दिन वेलेंटाइन है 
उसपर जान कुर्बान दूं ।

- कुमार अनेकान्त १४/०२/२०१८ 
(उसकी बिना अनुमति के एक दिन बाद प्रकाशित)

Tuesday, February 13, 2024

प्रेम चतुर्दशी

वेलेंटाइन डे स्पेशल 
प्रेम चतुर्दशी विशेष

पेमचउद्दसी दिणे,
जीवं णेहं कीरदि णाजीवं ।
अजीवस्स उवयोगो,
ण विवरीयं खलु कादव्वं ।।

प्रेम चतुर्दशी के दिन यह शिक्षा लेनी चाहिए कि चेतन को प्रेम करना चाहिए अचेतन को नहीं । अचेतन का उपयोग करना चाहिए । इसके विपरीत (लोग अचेतन से प्रेम करते हैं और चेतन का उपयोग )निश्चित रूप से ऐसा नहीं करना चाहिए । 
चेतन से प्रेम और अचेतन का उपयोग - यही सच्चे प्रेम की सनातन परंपरा है ।

कुमार अनेकांत 
14/02/24

सहजता ही प्रेम है

Monday, February 12, 2024

निजदोषों का दर्शन ( प्राकृत गाथा )

दस्सदि खलु णियदोसं ,
सज्झायेण णाभावदोसाणं ।
अभावो य होदि तस्स ,
तवचरित्ताप्पाणुभवेण ।।

स्वाध्याय से निजदोषों का दर्शन तो होता है किंतु उन दोषों का अभाव नहीं होता ,उन दोषों का अभाव तप चारित्र और आत्मानुभव से ही होता है । 

©कुमार अनेकांत
12/2/24