कुमार अनेकान्त की कवितायें
Sunday, January 2, 2022
हमारा हमसे ही अन्याय
हमारा हमसे ही अन्याय
हम
अक्सर
अप्रमाणिक व्यक्ति की
उस बात को
जल्दी
प्रमाण मान लेते हैं
जो वह
हमें
हमारे ही मित्र के
खिलाफ भड़काने
के लिए
कहता है ।
कुमार अनेकांत
३/१/२०२०
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