Wednesday, June 21, 2023

नेह निबंध


नेह निबंध

औपचारिकता में सिमट गए
अब तो सब संबंध
किसने किसको क्या दिया
बस इतने ही तटबंध

अभिवादन से भय लगता है
आहत करती हैं मुस्कानें
मार्केटिंग सी रिश्तेदारी हो गई
बस लगे हैं काम बनाने

प्रायोजित सा लगता है प्यार
बातें विज्ञापन सी लगती हैं
नजर न आती अब वे अखियां
जो वियोग में डब डब होती हैं

इंतजार करते हैं लोग अब
आप कब पधारेंगे यहां से
कुछ तो प्रतीक्षा में हैं हर पल
आप कब सिधारेंगे यहां से

अब तो भौतिक सारे संसाधन हैं
हर रिश्तों का आधार यहीं हैं
स्वारथ की इस निर्दय दुनिया में
सब कुछ है पर प्यार नहीं है

यथार्थ के धरातल पर जब पूरे हों प्रबंध
तभी लिखे जा सकते हैं हर नेह के निबंध