कुमार अनेकान्त की कवितायें
Wednesday, September 29, 2021
तुम पटाते हो हम पट जाते हैं
तुम ठगते हो
हम ठग जाते हैं
तुम रुलाते हो
हम रो लेते हैं
तुम हँसाते हो
हम हँस लेते हैं
लाख गुस्ताखियां
भी माफ़ करके तेरी
तुम पटाते हो
हम पट जाते हैं ।
©कुमार अनेकान्त
29/09/2021
Tuesday, September 28, 2021
क्षमा याचना की सीमा
क्षमा याचना की सीमा
*तिव्वकसायजुत्तं य मूढमणुस्सं* *खमा हु ण यायव्वा।*
*वरं अप्पम्मि ठिदूण*
*भावेण सुद्धो भवियव्वो*।।
तीव्रकषाययुक्त और मूर्ख मनुष्य से कहकर क्षमा याचना नहीं करनी चाहिए ,इससे तो अच्छा है आत्मस्थ होकर (उन्हें क्षमा कर देना चाहिए और अंदर ही अंदर) भावों विशुद्धि प्राप्त करनी चाहिए ।
डॉ अनेकान्त कुमार जैन
27/09/2021
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