Thursday, November 24, 2022

इबादत गाह बनाम सैरगाह

सैरगाह मत कहो खुदा के दर को शहंशाह ।
वहाँ हम इबादत को जाते हैं सैर को नहीं ।।

©कुमार अनेकान्त
24/11/22

#saveshikharji

Monday, November 21, 2022

उसे प्यार नहीं भाया जिहाद भा गया



*उसे प्यार नहीं भाया जिहाद भा गया*

© कुमार अनेकान्त

उसे नमस्ते न भाया आदाब भा गया ।
धर्म की कीमत पर भी कबाब भा गया ।।

हम मदहोश ही रहे ,ऊंची नीची जात में ।
मेरे धर्म की कन्या को,आफ़ताब भा गया ।।

श्याम नहीं दिखा ,रहमान भा गया ।
राम नहीं दिखा ,सलमान भा गया ।।

हम कदमों में जान, बिछाए खड़े रहे ।
प्यार नहीं दिखा ,
इश्क ए फ़रमान भा गया ।।

उतरा जब भूत फ़रेब इश्क का ,
याद कुंडली मिलान आ गया ।
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए ,
हिंदी फिल्म का याद गान आ गया ।।

प्यार से भी जरूरी कई काम है ,
माँ बाप का याद वो एहसान आ गया ।
प्यार सब कुछ नहीं जिंदगी के लिए ,
इस इल्म से पहले काम तमाम हो गया 
।।

© कुमार अनेकान्त
22/11/2022

आफ़ताब द्वारा श्रद्धा हत्याकांड