*एगं सम्मत्तं घेतव्वं*
सो वि लहइ य मोक्खं सद्दिट्ठी ।
सो सम्मत्तस्स सत्ति
एगं सम्मत्तं घेतव्वं ।।
सम्यक्त्व की इतनी शक्ति है कि
सम्यग्दृष्टि मोक्ष पद न चाहे तो भी उसे वह जबरजस्ती मिलता है इसलिए एक मात्र सम्यकदर्शन को ग्रहण करना चाहिए ।
पर्युषण-
दसलक्षण पर्व की शुभकामनाओं के साथ
प्रो अनेकान्त कुमार जैन ,नई दिल्ली
27/08/2022