तित्थयर-महावीरस्स गणतंतं
(तीर्थंकर महावीर का गणतंत्र )
पढमे खलु गणतंते वेसालीए होही जस्स जम्मं |
धम्मदंसणे ठवीअ वि गणतंतं भगवओ वीरो ||१||
निश्चय ही विश्व के प्रथम गणतंत्र वैशाली में जिनका जन्म हुआ उन भगवान् महावीर ने धर्म दर्शन के क्षेत्र में भी गणतंत्र की स्थापना की |
अप्पा सो परमप्पा णत्थि कोवि एगो इस्सवरो लोए |
णत्थि कोवि कत्ता खलु ,लोअस्स य केवलं णाया ||२||
उन्होंने कहा कि प्रत्येक आत्मा परमात्मा है ,लोक में कोई एक ईश्वर नहीं है ,निश्चित ही इस लोक का कोई भी कर्त्ता नहीं है और वह परमात्मा केवल ज्ञाता (दृष्टा) है |
जीवसयमेव कत्ता,सुहदुक्खाणं य सयं कम्माणं |
सव्वकम्मनस्सिदूण, भत्तो वि भगवओ हवइ ||३||
उन्होंने समझाया कि अपने सुख-दुखों का और अपने कर्मों का जीव स्वयमेव कर्त्ता है, अपने सभी कर्मों का नाश करके भक्त भी भगवान् हो जाता है |
- कुमार अनेकांत
२६/०१/२०२१