मैं श्रीराम होना चाहता हूँ
- कुमार अनेकांत जैन
मैं राम होना चाहता हूँ ,श्री राम होना चाहता हूँ ,
तोड़कर अब सारे बंधन भगवान् होना चाहता हूँ ।
ऋषभ के आदर्श को स्वीकार करना चाहता हूँ
भरत सा निर्लिप्त जीवन आज जीना चाहता हूँ ।
मैं राम होना ....
अजित होकर आत्मा में विश्राम लेना चाहता हूँ,
सुमतिवत् शुद्धात्मा का राम होना चाहता हूँ ।
मैं राम होना....
तोड़कर अब सारे बंधन अनंत होना चाहता हूँ,
भोग के इस सरोवर में पद्म होना चाहता हूँ ।
मैं राम होना....
ऋषि मुनि की इस धरा पर मुक्त जीना चाहता हूँ,दया अहिंसा से जगत को अवध करना चाहता हूँ ।
मैं राम होना....
नगरी विनीता की धरा से निरहंकार होना चाहता हूँ, शिथिल हों अब सारे बंधन अभिनंदन होना चाहता हूँ ।
मैं राम होना.....
सुव्रत मुनि के आचरण का अंजाम होना चाहता हूँ,संसार सागर पार अभिराम होना चाहता हूँ ।
मैं राम होना....
अनंत जन्म के कर्मधनुष का शीध्र भंजन चाहता हूँ ।
मुक्ति सीता का वरणकर निष्काम होना चाहता हूँ ।
मैं राम होना...
देख नश्वर जगत को जो
स्वयं वैरागी हुए,
उस विरागी दशरथ की संतान होना चाहता हूँ।
मैं श्री राम होना चाहता हूं ,तोड़कर अब सारे बंधन निष्काम होना चाहता हूँ ।
सम्यक्त्व अयोध्या की धरा पर ज्ञानमंदिर चाहता हूँ,
और उसके भाल पर शिखर होना चाहता हूँ।
राम होना...
तोड़कर मैं सारे बंधन श्री राम होना चाहता हूं ।
प्राप्तकर शुद्धात्मा खुद में बरसना चाहता हूँ,
मांगीतुंगी के शिखर से सिद्ध होना चाहता हूँ।।
राम होना --2
तोड़कर अब सारे बंधन भगवान् होना चाहता हूँ,मैं श्री राम होना चाहता हूँ- 2
21/01/24