*णमो कुण्डकुण्डस्स*
*जस्स वाणी सुणिदूण* ,
*सेआम्बरो वि हवदि दिअम्बरो।*
*णमो य तिहुवणपुज्जं*
*दिअम्बरायरियो कुण्डकुण्डस्स।।*
जिनकी दिव्य वाणी को सुनकर श्वेताम्बर भी (अपना मताग्रह त्यागकर) दिगंबर हो रहे हैं ,(उन ) तीनों लोकों में पूज्य महान दिगंबर जैन आचार्य कुन्दकुन्द को मेरा नमस्कार है ।
प्रो अनेकान्त कुमार जैन ,नई दिल्ली
24/08/2021