*हम फ़र्जी हैं अनुयायी*
कुमार अनेकान्त
26/09/2020
गुरुदेव तो बहुत भाये हमें ,
पर उनकी सीख नहीं भायी ।
उनके पथ को न अपनाते,
हम फ़र्जी हैं अनुयायी ।।1।।
उन्होंने समरसता का किया शंखनाद ,
पर हमको वैषम्य पड़ा दिखलाई ।
उन्होंने बोले सदा मीठे बोल ,
पर हमको कड़वाहट ही भायी ।।2।।
वे शास्त्र बिन कुछ न बोले ,
पर हम बिन शास्त्र ही बोले ।
वे करते थे गैरों का भी सम्मान,
हम अपनों का करते अपमान ।।3।।
उन जैसा जीवन जीने की,
एक डोर भी न पकड़ पाई ।
उनके पथ को न अपनाते,
हम फ़र्जी हैं अनुयायी ।।4।।
वे खुद की मूर्ति के खिलाफ ,
हमने उन्हीं की मूर्ति
बनवाई ।
वे वीतराग के प्रतिमूर्ति ,
हमने कषायों की कसमें खाई ।।5।।
वे दुनिया को समझाते रहे सदा ,
नहीं समझे खुद के ही
अनुयायी ।
उनके पथ को न अपनाते,
हम फ़र्जी हैं अनुयायी ।।6।।