Friday, September 25, 2020

हम फर्जी हैं अनुयायी

*हम फ़र्जी हैं अनुयायी*

कुमार अनेकान्त 
26/09/2020

गुरुदेव तो बहुत भाये हमें ,
पर उनकी सीख नहीं भायी ।
उनके पथ को न अपनाते,
हम फ़र्जी हैं अनुयायी ।।1।।

उन्होंने समरसता का किया शंखनाद ,
पर हमको वैषम्य पड़ा दिखलाई ।
उन्होंने बोले सदा मीठे बोल ,
पर हमको कड़वाहट ही भायी ।।2।।


वे शास्त्र बिन कुछ न बोले ,
पर हम बिन शास्त्र ही बोले ।
वे करते थे गैरों का भी सम्मान,
हम अपनों का करते अपमान ।।3।।

उन जैसा जीवन जीने की,
एक डोर भी न पकड़ पाई ।
उनके पथ को न अपनाते,
हम फ़र्जी हैं अनुयायी ।।4।।

वे खुद की मूर्ति के खिलाफ ,
हमने उन्हीं की मूर्ति 
बनवाई ।
वे वीतराग के प्रतिमूर्ति ,
हमने कषायों की कसमें खाई ।।5।।

वे दुनिया को समझाते रहे सदा ,
नहीं समझे खुद के ही
अनुयायी ।
उनके पथ को न अपनाते,
हम फ़र्जी हैं अनुयायी ।।6।।

Wednesday, September 23, 2020

लव षष्टक

लव षष्टक
             -कुमार अनेकांत 
वो दीवानी बावरी 
करके सोला श्रृंगार 
हम में ऐसी क्या कमी दिखी ?
जो हुई लव जेहादी शिकार 

उस कोमल कली को 
गर इधर ही मिले दुलार 
क्यों वो भटके प्यार को 
हो लव जेहादी शिकार 

हमने भी इतने कस दिए 
सामाजिक प्रतिबन्ध 
जाति पाती के नाम पर 
सिमित हुए सम्बन्ध 

क्या बनिया क्या ब्राह्मण 
क्या क्षत्रिय क्या जाट
बेटी अपनों में ही रहे 
अब तय कर लो यह बात 

चलो जपना शुरू करें 
हम भी नेह के मंत्र 
ताकि सफल न हो सके 
लव जेहादी षडयंत्र

जागें खोलें हम भी अपने 
खिड़की और किवार
आने दो अब घर आँगन में 
अपनेपन की बयार

Monday, September 14, 2020

हमारा भाषा परिवार

*हमारा भाषा परिवार*


*हिंदी माआ अत्थि य,*
*पिउ सक्कयं पाइयं सअलदाइ।*

 *णाणी अवभंसो खलु, एसा य भारदभासा परिवारो ।।* 

हिंदी माता है,संस्कृत पिता और प्राकृत सबकी  दादी है और अपभ्रंश हमारी नानी है । यह ही भारत भाषा परिवार है ।

कुमार अनेकान्त 
14/09/2020

Sunday, September 6, 2020

कभी सपना नहीं आया तो कभी देखना नही आया

कहीं नक्शे के मुताबिक जमीं न मिली ,
कहीं मिली तो नक्शा बनाना नहीं आया ।
बैठा ही ना सके अरमानों को 
हैसियत के ढांचे में,
कभी सपना नहीं आया तो कभी देखना नही आया ।।
(कुमार अनेकान्त 6/09/2020) 

Thursday, September 3, 2020

क्षमा वाणी या मैसेज पर्व ?

क्षमा वाणी या मैसेज पर्व ?

कुमार अनेकान्त
4/09/2020
चाहे भूल हो या कोई विवाद, 
सहज मिटते
यदि रहे संवाद ।
साक्षात हो या हो दूरवाणी,
बना रहे पर्व पावन
क्षमावाणी ।।1।।

वाणी का स्थान मेसेज नहीं ले सकता, ज्यों
संदेशों कभी खेत नहीं जुतता।
कह कर करें और 
मांगे क्षमा,
वर्ना मेसेज पर्व
हो जाएगा क्षमा ।।2।।