Thursday, April 30, 2020

शाश्वत परिणय

*शाश्वत परिणय*

अदृश्य हैं संबंध हमारे,
अनभिव्यक्त बंधन है सारे ।
जुड़ गया हूं कुछ इस तरह से, 
न तुम हमारे हम तुम्हारे ।।१।।

एक है सब दो नहीं है,
अभेद है सब भेद नहीं है ।
तुम नहीं कुछ मैं नहीं कुछ, 
है सब कुछ पर कुछ नहीं है ।।२।।

कुछ नहीं कहना है मुझको ,
कह दिया सब मौन ने ही।
 उत्तर की आशा नहीं है ,
बातें आंखों ने कहीं हैं ।।३।।

सुनसान है संसार हमारा ,
पर संवाद हर पल चल रहा है ।
प्रकट भले ना हो परंतु ,
प्यार दोनों में पल रहा है ।।४।।

व्यक्त भले ना हो परंतु ,
परिणय शाश्वत हो चुका है ।
अनेकांत में था जो द्वंद्व ,
वह अनुभूति में खो चुका है ।।५।।

कुमार अनेकांत 
१/१/२००१

Sunday, April 26, 2020

कांजी स्वामी मरने नहीं चाहिए

कांजी स्वामी मरने नहीं चाहिए 
            -    कुमार अनेकांत
वैसे ही जैसे गांधी नहीं मरे , 
प्रशंसा ,आलोचना युक्त अपने 
विचारों के साथ
मनुष्यों में जिंदा हैं वे 
वे जिंदा हैं तभी राजनीति में
अहिंसा की चर्चा जिंदा है , 
उसी प्रकार कांजी स्वामी 
यदि जिंदा रहेंगे 
तो महावीर का मूल 
तत्वज्ञान और जिनागम
का स्वाध्याय जिंदा रहेगा 
अन्यथा 
युग के प्रवाह में
उनके अनुयायियों 
में भी पनपते कोरे
क्रिया कांड 
बहा ले जाएंगे 
अध्यात्म 
और 
नहीं बचेगा 
चर्चा में भी
शुद्ध आत्म ।

Wednesday, April 22, 2020

जीना सिखा दिया

*जीना सिखा दिया* 
        
कुमार अनेकांत ,नई दिल्ली
                                  २२/०४/२०२०

मृत्यु भय देकर भी जीना सिखा दिया 
वायरस तूने हमको जीना सिखा दिया 

चुम्बन संक्रमण है प्यार नहीं ,
आलिंगन प्रदूषण है दुलार नहीं ।
हाथ मिलाना दोषपूर्ण वह,
अब सच्चा अभिवादन नहीं ।।

हाथ जोड़कर अभिवादन,
दुनिया को सिखा दिया ।
मृत्यु भय देकर भी ,
जीना सिखा दिया ।।

क्या खाना और कैसे खाना ,
कैसे चलना कैसे बोलना ।
घर पर रहना घर का खाना ,
शुद्ध आहार सिखा दिया ।।

मांसाहार छुड़वाकर,
शाकाहार सिखा दिया।
मृत्यु भय देकर भी ,
जीना सिखा दिया ।।

मंदिर बंद हैं भगवान् बंद हैं ,
कोरे सब क्रिया कांड बंद हैं ।
अपने ही भीतर परमात्म बैठा ,
ऐसा आतम राम दिखा दिया ।।

बिन मंदिर मूर्ति आराधना,
अध्यात्म सिखा दिया।
मृत्यु भय देकर भी ,
तूने जीना सीखा दिया ।।

कोई जन्में कोई मरे,
न कोई बुलाए न कोई जाए ।
हर बीमार को अकेले ही,
लड़ना सिखा दिया ।।

कोई किसी का सगा नहीं,
न कोई शरण बता दिया।
मृत्यु भय देकर भी ,
तूने जीना सीखा दिया ।।

कैसा मोह और कैसी माया,
कौन जीता और कौन हारा ।
क्रोध मान और लोभ को भी,
उसकी औकात दिखा दिया ।।

राजा हो चाहे रंक ,
जात पात सब एक कर दिया।
मृत्यु भय देकर भी तूने ,
जीना सिखा दिया ।।

मानव बस एक कठपुतली है,
कर्तृत्व नशा सब चूर कर दिया ।
कोरा विकास और विज्ञानवाद,
क्षणभर में सब धो के धर दिया।।

संप्रदाय और धर्म एक कर,
सबको धत्ता बता दिया ।
मृत्यु भय देकर भी तूने ,
जीना सिखा दिया ।।

सब वेद पुराण कुरआन अवेस्ता,
ग्रंथ बाइबिल आगम की शिक्षा ।
सिखा न सके करोड़ों शब्दों में ,
बिन शब्दों के वो सार बता दिया ।।

दुनिया जितना भी उछले सबको,
भारत के चरणों में ला दिया ।
मृत्यु भय देकर भी,
तूने जीना सिखा दिया ।।
drakjain2016@gmail.com

Sunday, April 5, 2020

तुम नहीं हम हैं महावीर

*तुम नहीं हम हैं महावीर* 
                    - कुमार अनेकांत©
                       (६/०४/२०२०
                       महावीर त्रियोदशी )

शक्ति शाली को
कहा जाता है महावीर 
जो डरता नहीं किसी से
मगर तुम तो डर गए 
कर्मों से 
संसार से
दुखों से 
पाप से 
पुण्य से 
और चले गए जंगल 
फिर प्राप्त की वीतरागता
और मोक्ष 
लेकिन हमारी हिम्मत देखो 
डटे हुए हैं अनादि काल से 
इसी संसार में 
अनंत दुख सहते 
और फिर भूल जाते हैं ,
पुण्य और पाप 
दोनों से नहीं डरते 
बल्कि लगे रहते हैं 
बनाने में इनका बैलेंस
जो तुम न बना सके ,
चारों गति के सुख और दुख 
दोनों सहते हैं,
ये तुमसे न हुआ ,
हम तुमसे ज्यादा
अहिंसक हैं क्यूं कि
कर्मों को रो धो कर सहते हैं 
मगर उनको कभी
काटते नहीं हैं ,
अपनी आत्मा भूलकर 
डटे हुए हैं
मैदान में अभी तक 
तुम्हारी तरह 
मैदान छोड़कर
जाते नहीं हैं ।
तुम्हीं बताओ अब 
कौन है महावीर 
हम या तुम ? 


 

Thursday, April 2, 2020

लॉक डाउन

लॉक डाउन 

तुमने तो 
न जाने कब से 
खुद को 
मुझ से क्वारंटीन
करके
मुझे आइसोलेशन 
में भेज रखा है 
और मेरा 
दिल तब से 
ही 
लॉक डाउन 
हो रखा है 
उसे
अन लॉक 
करवा दो ।

कुमार अनेकांत©