*जीना सिखा दिया*
कुमार अनेकांत ,नई दिल्ली
२२/०४/२०२०
मृत्यु भय देकर भी जीना सिखा दिया
वायरस तूने हमको जीना सिखा दिया
चुम्बन संक्रमण है प्यार नहीं ,
आलिंगन प्रदूषण है दुलार नहीं ।
हाथ मिलाना दोषपूर्ण वह,
अब सच्चा अभिवादन नहीं ।।
हाथ जोड़कर अभिवादन,
दुनिया को सिखा दिया ।
मृत्यु भय देकर भी ,
जीना सिखा दिया ।।
क्या खाना और कैसे खाना ,
कैसे चलना कैसे बोलना ।
घर पर रहना घर का खाना ,
शुद्ध आहार सिखा दिया ।।
मांसाहार छुड़वाकर,
शाकाहार सिखा दिया।
मृत्यु भय देकर भी ,
जीना सिखा दिया ।।
मंदिर बंद हैं भगवान् बंद हैं ,
कोरे सब क्रिया कांड बंद हैं ।
अपने ही भीतर परमात्म बैठा ,
ऐसा आतम राम दिखा दिया ।।
बिन मंदिर मूर्ति आराधना,
अध्यात्म सिखा दिया।
मृत्यु भय देकर भी ,
तूने जीना सीखा दिया ।।
कोई जन्में कोई मरे,
न कोई बुलाए न कोई जाए ।
हर बीमार को अकेले ही,
लड़ना सिखा दिया ।।
कोई किसी का सगा नहीं,
न कोई शरण बता दिया।
मृत्यु भय देकर भी ,
तूने जीना सीखा दिया ।।
कैसा मोह और कैसी माया,
कौन जीता और कौन हारा ।
क्रोध मान और लोभ को भी,
उसकी औकात दिखा दिया ।।
राजा हो चाहे रंक ,
जात पात सब एक कर दिया।
मृत्यु भय देकर भी तूने ,
जीना सिखा दिया ।।
मानव बस एक कठपुतली है,
कर्तृत्व नशा सब चूर कर दिया ।
कोरा विकास और विज्ञानवाद,
क्षणभर में सब धो के धर दिया।।
संप्रदाय और धर्म एक कर,
सबको धत्ता बता दिया ।
मृत्यु भय देकर भी तूने ,
जीना सिखा दिया ।।
सब वेद पुराण कुरआन अवेस्ता,
ग्रंथ बाइबिल आगम की शिक्षा ।
सिखा न सके करोड़ों शब्दों में ,
बिन शब्दों के वो सार बता दिया ।।
दुनिया जितना भी उछले सबको,
भारत के चरणों में ला दिया ।
मृत्यु भय देकर भी,
तूने जीना सिखा दिया ।।
drakjain2016@gmail.com
No comments:
Post a Comment