कांजी स्वामी मरने नहीं चाहिए
- कुमार अनेकांत
वैसे ही जैसे गांधी नहीं मरे ,
प्रशंसा ,आलोचना युक्त अपने
विचारों के साथ
मनुष्यों में जिंदा हैं वे
वे जिंदा हैं तभी राजनीति में
अहिंसा की चर्चा जिंदा है ,
उसी प्रकार कांजी स्वामी
यदि जिंदा रहेंगे
तो महावीर का मूल
तत्वज्ञान और जिनागम
का स्वाध्याय जिंदा रहेगा
अन्यथा
युग के प्रवाह में
उनके अनुयायियों
में भी पनपते कोरे
क्रिया कांड
बहा ले जाएंगे
अध्यात्म
और
नहीं बचेगा
चर्चा में भी
शुद्ध आत्म ।
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