कुमार अनेकान्त की कवितायें
Monday, September 26, 2022
बांध
किस्मत ने लिखे हैं कैसे कैसे रूप ,
तदबीरें भी जिसकी गुलाम हो गईं ।
जाने कैसे रोका है उसने सैलाब को,
आंखें भी आसुओं का बांध हो गईं ।।
कुमार अनेकान्त ©
Saturday, September 10, 2022
औपचारिक क्षमावाणी
*औपचारिक क्षमावाणी*
✍️- कुमार अनेकान्त
11/09/2022
वे हमपर ज़ुल्म तक करते रहे
और हमने उफ़ तक न किया
हमने बस आह भरी
तो वे बुरा मान गए
उनका पढ़कर क्षमा संदेश
व्हाट्सप्प पर
हम भावुकता में फिर उनके
दीवाने हो गए
हम भी मांगे मुआफी
ये मुद्द'आ था उनका
हमने 'क्षमा किया' लिख दिया
तो नाराज हो गए
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