कुमार अनेकान्त की कवितायें
Monday, September 26, 2022
बांध
किस्मत ने लिखे हैं कैसे कैसे रूप ,
तदबीरें भी जिसकी गुलाम हो गईं ।
जाने कैसे रोका है उसने सैलाब को,
आंखें भी आसुओं का बांध हो गईं ।।
कुमार अनेकान्त ©
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