Tuesday, October 22, 2019
यहां हर शख्स पत्रकार है
Monday, September 9, 2019
चिंता मत करो ISRO
चिंता मत करो ISRO
संपर्क
..............
मेरे दिल का
चंद्रयान
भी मेरे चांद
पर गिर गया था
और मेरा मुझसे ही
संपर्क टूट गया था
वो मजबूत था
इसलिए टूट कर बिखरा नहीं
और इसीलिए
मुझे तो आज वर्षों बाद
भी संपर्क की
पूरी उम्मीद है
तुम मुझ तक
कभी नहीं पहुंचे
पर
मैं तुम तक जरूर
पहुंचूंगा
- कुमार अनेकांत
Friday, August 16, 2019
Tuesday, July 23, 2019
अपनाष्टक
न खुशियों की कोई बात है ।
अवसाद भरी इस महफिल में ,
अब हर कोई नाराज़ है ।।१।।
रोज बहाने मिलने के ।
मन कच्चा हो तो हम ढूढें,
रोज बहानें लड़ने के ।।२।।
तिल का ताड़ बनाते हम ।
व्यर्थ सभी अध्यात्म है दिखता,
यदि साथ नहीं रह पाते हम ।।३।।
औरों को गले लगाते हैं ।
उनसे मिलते मुस्काते हैं ,
बस अपनों में छल दिखलाते हैं ।।४।।
गैर सहयोगी दिखते हैं ।
अपने ठगे जाते हैं अब तो ,
गैर ही मजे उड़ाते हैं ।।५।।
कैसे भी उनसे बोलो तुम ।
संवादों को जारी रखो,
उसकी भूलों को भूलो तुम ।।६।।
अचानक क्यों बेरुखा
दिखता है ?
कुछ तो मजबूरी का मारा होगा ,
वरना क्यों बेवफा लगता है ?।। ७ ।।
और बदला तुमसे लेता है ।
जब हार जाता है इंसा दुनिया से ,
विक्षिप्त अपनों को करता है ।।८।।
हम संतुष्ट हो लेते हैं ।
अपन, अपने को करके विस्मृत ,
हम अपने को छलते हैं ।।
२४/०७/२०१९
चाहो तो ......
चाहो तो ......
चाहो तो
बह भी सकते हो
चाहो तो तैर भी
सकते हो
वक्त एक
नदी की धार
जैसा है
हमारे पूर्व कर्मों के
फलों की
कतार जैसा है
बहोगे तो वही होगा
जो तकदीर में होगा
तैरोगे तो तकदीर
लिख भी सकते हो
भुजाओं में हो ताकत
तो लड़ भी सकते हो
धारा से बगावत
कर भी सकते हो
बहाव तेज हो तो
बहाता है
अच्छे अच्छों को
मगर लड़ता है मनुज
यह मानकर कि
तुम धारा मोड़ सकते हो
चाहो तो भरोसे
बहाव के
खुद को छोड़ सकते हो
और चाहो तो
खुद ये बंधन
तोड़ सकते हो
- कुमार अनेकांत©
२३/०७/२०१९
Saturday, July 13, 2019
संसार
देखो तो कितना बड़ा
नजर आता है !
किसी ऊंची जगह से
नीचे देखो तो सबकुछ
कितना छोटा
नजर आता है !
कितना सा ?
ज्यादा से ज्यादा
९०- १०० वर्ष ?
देव और नरक गति
में बिताने के बाद भी
हम इन ७०/८० या
१०० वर्षों को कितना
ज्यादा महत्त्व देते हैं ?
राग द्वेष और बदला ,
इसने मेरा ये ले लिया
इसने मुझे ये नहीं दिया
मुझे ये बनना है
वो बनना है
इसको हराना है
उसको पाना है
इतना कमाना है
यहां घूमना है
वहां घूमना है
आशाएं
जो आकाश से भी
बड़ी हैं
सब कुछ बौना
नजर आता है
जमीं पर रहकर देखो
बस संसार
नज़र आता है
इसी भव में ही
सार नज़र आता है
८/७/२०१९
Wednesday, July 10, 2019
गुरु जी
*EVER G - GURU G*
2G आया गया
3G आया गया
4G आया जाएगा
5G आएगा जाएगा
पर
गुरु G हमेशा थे
हमेशा रहेंगे
इसलिए
गुरू P अर्थात्
पूर्णिमा पर
उन सभी गुरू जी
को नमन
जिन्होंने हम
पत्थरों को
तराशा
गढ़ा
आकार दिया
और कर्तृत्व का
ज़रा सा भी
भार नहीं लिया
- कुमार अनेकांत©
*EVER G - GURU G*
Monday, July 1, 2019
परिवार वाद
परिवार वाद
सभी जगह
परिवारवाद
किसी का खुद का परिवार ही परिवार
किसी का संघ
परिवार ही परिवार किन्हीं की जाति ही उनका परिवार
किसी के लिए उनका धर्म और साधर्मी ही परिवार किसी के लिए उनकी खुद की समाज ही परिवार
पर ऐसे शायद ही मिलें जिनके लिए पूरा देश परिवार
सबसे बड़ी विशाल दृष्टि में वसुधा ही कुटुंब यानि परिवार
इसलिए
परिवार वाद नहीं
परिवार का
सीमाकरण अखरता है
Friday, June 28, 2019
अव्यक्त
अव्यक्त
- कुमार अनेकांत©
(२७/०६/२००६)
सबके बीच
बहुत कुछ कहा तुमने
बहुत कुछ कहा मैंने
सबने सुना
सबने समझा
पर जो
कहने के पीछे
अनकहा था
वो ही समझा तुमने
वो ही समझा मैंने
बातों के पीछे से
कितनी बातें की
तुमने मैंने
वो न सुनी किसी ने
न समझी किसी ने
कहीं यही संवाद
अध्यात्म तो नहीं
तुम्हारा मेरा
अव्यक्त
वीतराग तो नहीं !
(युवा दृष्टि में प्रकाशित )
Thursday, June 20, 2019
भक्तिकाल की वापसी
(२१/०६/२०१९ ,१२: १५ am)
भक्ति काल की वापसी
- कुमार अनेकांत ©
देखो
अब प्रश्न
मत करना
मत पूछना
कोई सवाल
मत मांगना
कोई जवाब
कोई समीक्षा
या आलोचना
या फिर व्यंग्य
कुछ भी मत करना
और शक तो
कतई मत करना
यदि
करना
तो सिर्फ मेरी भक्ति
और विद्यमान
या अविद्यमान
गुणों का गान
तभी सुरक्षित
रहेगी जान
क्यों कि अब
न रीति है
न नीति है
न है प्रश्नकाल
वापस आ रहा है
विशिष्ट
भक्ति काल
Tuesday, June 11, 2019
ट्विंकल बेटी
ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार
बेटी आज हम सब शर्मसार
रक्षा तुम्हारी कर न सके हम
आज गई है मानवता हार
अब तुम खेल नहीं सकती
खुल कर चहक नहीं सकती
यही विकास किया है हमने
तुम खुलकर जी नहीं सकती
हम सभी सजा के हैं हकदार
ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार
बेटी आज हम सब शर्मसार
रक्षा तुम्हारी कर न सके हम
आज गई है मानवता हार
Wednesday, March 20, 2019
होली के रंग देश के संग
होली के रंग देश के संग
- कुमार अनेकांत
इस बार
जिन्हें जीतना है उन्हें भी पता है
जिन्हें हारना है उन्हें भी पता है
तो ऐसा कीजिए
लोकतंत्र में नया
अध्याय लगवाइए
होली पर देशभक्ति के
रंग में रंग जाइए
बाद में गठबंधन और समर्थन
करने की बजाय
पहले ही निर्णय करवाइए
बिना चुनाव ही
सरकार बनवाइए
आपका और देश का
समय और पैसा
दोनों बच जाएगा
तुम पांच साल और चला लो
फिर हमारा नंबर आ जाएगा