Monday, May 31, 2021

भ्रूण हत्या (समकालीन प्राकृत कविता)

भूणहिंसाकेवलं,ण हवदि खलु दयाहीणे कलजुगे  ।
हिये वयपणं वि मरदि ,उजुहिययं दुल्लहा लोये ।।

निश्चित ही इस दयाहीन कलयुग में केवल भ्रूण हिंसा ही नहीं होती है बल्कि हृदय में बचपन भी मरता है,(क्यों कि)अब लोक में सरल हृदय मिलना दुर्लभ हो गया है ।

©कुमार अनेकान्त
1/06/2021



Monday, May 17, 2021

अव्यक्त दर्द

अव्यक्त दर्द !

मन के 
किसी कोने में
तुम्हारी यादों का 
एक संग्रहालय
हमेशा बना रहता है 
जिसमें हृदय के 
कुछ भग्नावशेष 
मन ही मन लिखे 
सैकड़ों पत्रों की 
पांडुलिपियां
बीते दिनों का पुरातत्व
और 
मन ही मन रची गईं
तुम्हारी असंख्य मूर्तियां
तुम्हारे सौंदर्य 
की कलाकृतियां
और 
पीड़ा जन्य कविताएं
अभी भी सहेज कर 
रखीं हुईं हैं 
इस आशा में कि
कोई तो होगा 
जो अनुसंधान करेगा 
और खोज लेगा 
अव्यक्त दर्द !

©कुमार अनेकान्त

18 मई विश्व संग्रहालय दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ

Thursday, May 13, 2021

चिंता कैसी ?

*चिंता कैसी ?* 

यदि अभी तक बीमारी नहीं हुई है 
तो चिंता कैसी ?

यदि हो गई है 
तो चिंता कैसी ?
बस उपचार कीजिये ।


अगर जिंदा हैं 
तो चिंता कैसी ? 

और अगर नहीं हैं
तो.......

इसलिये 
चिंता नहीं चिंतन करें 
तनाव नहीं उपाय करें 

अब जो हैं 
उनकी फिक्र क्या ?
जो नहीं 
उनका जिक्र क्या ?

सहज रहें 
और 
रहने दें

✍️कुमार अनेकान्त

Tuesday, May 11, 2021

जम्मदिवसस्स सुहकामणा (समकालीन प्राकृत कविता )

*जम्मदिवसस्स सुहकामणा*

*दुल्लहो मणुजम्मो य*, *णीरोगसरीरं धम्मसरणं य ।*
*ससगपरकल्लाणं य* ,
*जम्मदिअसो मंगलं होदु ।।*

यह मनुष्य जन्म , अनुकूल शरीर और धर्म की शरण मिलना बहुत दुर्लभ है ( अतः) स्व पर कल्याण के साथ आपका जन्मदिवस मंगलमय हो ।

डॉ अनेकान्त जैन 
12/05/2021

उपकार ( समकालीन प्राकृत कविता )

संयटे य सहजोगं,जीवणस्स रक्खणं उत्तमसया ।
उवयारविण्णावणं,दट्ठूण य पुण मरणं होइ ।।

संकट के समय सहयोग और जीवन की रक्षा हमेशा उत्तम होती है ( किन्तु) उस उपकार का विज्ञापन( एहसान जताना  ) देखकर उसका पुनः मरण हो जाता है ।अर्थात उसे ऐसा लगने लगता है कि इनके ऐसे सहयोग से तो अच्छा होता मैं बिना  सहयोग के ही रह जाता ।

कुमार अनेकान्त
11/05/2021

अगला नम्बर ......

एक से एक विकेट उखड़ रहे हैं इस मैच में , 
कहीं ये विपदा अपनों को न खा जाए ?
ऊपर से निश्चिंत दिखने का अभिनय करते करते,
कहीं अगला नम्बर हमारा न आ जाये ?

Friday, May 7, 2021

जीने की कला

जीने की कला

*जइ ण वसे पसासणं ,चइदूण पयं ठायव्वं अप्पम्मि ।*
*कुस्सी य णत्थि अत्थी , जस्स चागं खलु असंभवो ।।*

यदि प्रशासन न हो पा रहा हो तो (समय रहते ) पद त्यागकर आत्मा में स्थित हो जाना चाहिए ( क्यों कि ) वह कुर्सी है अर्थी नहीं है जिसको छोड़ना असंभव हो ।

कुमार अनेकान्त 
7/05/2021

Thursday, May 6, 2021

श्रद्धांजलि

*सद्धांयलि*

ॐ अर्हम

*दिवंगय-सुगइगमणं,परियणाणं य होदु धम्मसरणं ।*
*अणिच्चसंसारे खलु,भावदु वत्थुसरुवं णिच्चं ।।*

दिवंगत आत्मा का सुगति गमन हो, परिवारजनों को धर्म की शरण प्राप्त हो , इस अनित्य संसार में नित्य ही वस्तु स्वरूप का अवश्य चिंतन करें ।

*चक्खु अणीरो जड़ो,* *कण्णो सुण्णं हवइ दुक्खकाले* ।
*अहं वि सुण्णवय होमि*,
*पइदिणं वियोगं दट्ठूण।।*
 प्रतिदिन मनुष्यों का  वियोग देखकर इस दुख के समय में आंखें भी अश्रु रहित जड़ हो गईं हैं,कान सुन्न हो गए हैं और मैं भी शून्य सा हो गया हूँ ।

अश्रुपूरित श्रद्धांजलि
के साथ

डॉ अनेकान्त जैन
डॉ रुचि जैन, 
जिन फाउंडेशन ,
नई दिल्ली

शून्य हो गया हूँ

*शून्य हो गया हूँ*

*चक्खु अणीरो जड़ो,* *कण्णो सुण्णं हवइ दुक्खकाले* ।

*अहं वि सुण्णवय होमि*,
*पइदिणं वियोगं दट्ठूण।।*

कोरोना के कारण प्रतिदिन मनुष्यों का  वियोग देखकर इस दुख के समय में आंखें भी अश्रु रहित जड़ हो गईं हैं,कान सुन्न हो गए हैं और मैं भी शून्य सा हो गया हूँ ।
😥
कुमार अनेकान्त😳