*सद्धांयलि*
ॐ अर्हम
*दिवंगय-सुगइगमणं,परियणाणं य होदु धम्मसरणं ।*
*अणिच्चसंसारे खलु,भावदु वत्थुसरुवं णिच्चं ।।*
दिवंगत आत्मा का सुगति गमन हो, परिवारजनों को धर्म की शरण प्राप्त हो , इस अनित्य संसार में नित्य ही वस्तु स्वरूप का अवश्य चिंतन करें ।
*चक्खु अणीरो जड़ो,* *कण्णो सुण्णं हवइ दुक्खकाले* ।
*अहं वि सुण्णवय होमि*,
*पइदिणं वियोगं दट्ठूण।।*
प्रतिदिन मनुष्यों का वियोग देखकर इस दुख के समय में आंखें भी अश्रु रहित जड़ हो गईं हैं,कान सुन्न हो गए हैं और मैं भी शून्य सा हो गया हूँ ।
अश्रुपूरित श्रद्धांजलि
के साथ
डॉ अनेकान्त जैन
डॉ रुचि जैन,
जिन फाउंडेशन ,
नई दिल्ली