Sunday, July 2, 2023

मेरे हस्ताक्षर

*हस्ताक्षर*
पूरा अपना नाम लिख दिया था ।
जब पहली बार हस्ताक्षर किया था ।।

सुंदर स्पष्ट अक्षरों में लिखे पूरे नाम को ।
पढ़ हंसी उड़ाई गई पढ़कर मेरे नाम को ।।

फिर समझाया गया कि स्पष्ट सुंदर अक्षर ।
चाहे कितने हो प्रिय, पर नहीं हैं वे हस्ताक्षर ।।

कोई भी नकल कर लेगा ।
लिख कर तुम्हें ठग लेगा ।।

फिर लिखकर कई कई बार 
कागज किये बेकार ।
आफत थी ऐसी आयी
खुद के नाम में गूद मचाई ।।

जब कुरूप किये अपने अक्षर ,
तब माने गए वे हस्ताक्षर ।
फिर पढ़ा लिखा सब कहने लगे ,
हम सुलेख का हश्र सहने लगे ।।

ज्यों नाम बढ़ा पद और रुतबा ,
करने पड़े सैकड़ों हस्ताक्षर ।
तब सिकुड़ते गए स्वयं ही ,
मेरी कलम से मेरे हस्ताक्षर ।।

मैं जितना बड़ा होता गया ,
उतने हस्ताक्षर छोटे होते गए ।
मेरे नाम के सारे अक्षर ,
मेरे ही मान में खोते रहे ।।

©कुमार अनेकान्त
3/07/2021