Thursday, July 6, 2023
Sunday, July 2, 2023
मेरे हस्ताक्षर
*हस्ताक्षर*
पूरा अपना नाम लिख दिया था ।
जब पहली बार हस्ताक्षर किया था ।।
सुंदर स्पष्ट अक्षरों में लिखे पूरे नाम को ।
पढ़ हंसी उड़ाई गई पढ़कर मेरे नाम को ।।
फिर समझाया गया कि स्पष्ट सुंदर अक्षर ।
चाहे कितने हो प्रिय, पर नहीं हैं वे हस्ताक्षर ।।
कोई भी नकल कर लेगा ।
लिख कर तुम्हें ठग लेगा ।।
फिर लिखकर कई कई बार
कागज किये बेकार ।
आफत थी ऐसी आयी
खुद के नाम में गूद मचाई ।।
जब कुरूप किये अपने अक्षर ,
तब माने गए वे हस्ताक्षर ।
फिर पढ़ा लिखा सब कहने लगे ,
हम सुलेख का हश्र सहने लगे ।।
ज्यों नाम बढ़ा पद और रुतबा ,
करने पड़े सैकड़ों हस्ताक्षर ।
तब सिकुड़ते गए स्वयं ही ,
मेरी कलम से मेरे हस्ताक्षर ।।
मैं जितना बड़ा होता गया ,
उतने हस्ताक्षर छोटे होते गए ।
मेरे नाम के सारे अक्षर ,
मेरे ही मान में खोते रहे ।।
©कुमार अनेकान्त
3/07/2021
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