Sunday, December 18, 2022

आफ़ताब

खुद में वो काबिलियत पैदा करो ,
कि मंजिलें खुद मिलने को बेताब हों ।
क्या होगा तारों सा बन के अनेकान्त,
कुछ करो ऐसा कि जैसे आफ़ताब हो ।।
- कुमार अनेकान्त