Friday, April 30, 2021

दो अभिव्यक्ति

ये चले गए वो चले गए,
निज शोक को कैसे उठाएं ?
जी रहे हैं पर यकीं नहीं हैं ,
किस रोज किसका
नम्बर लग जाये ?

कुमार अनेकान्त


आंखों के लिए भी एक मास्क चाहिए ,
कि अब ये मंजर देखा नहीं जाता ।

कुमार अनेकान्त

भूले अपना धर्म महान

*भूले अपना धर्म महान*

कुमार अनेकान्त 

चारों ओर मचा कोहराम ,
कोई किसी के न आता काम ।
कैसी विपदा आयी मानव पर,
न सुनता खुदा
न गॉड भगवान ।।1।।

किसकी गलती कौन सुधारे ?
अच्छे अच्छे परलोक सिधारे ।
सारा सिस्टम हो गया नाकाम ,
किसको दोष दें ?
अब सब बदनाम ।।2।।

अपने कर्मों को भोगें हम,
साथ नहीं अब कोई 
हमदम ।
सुख में साथ सभी निभाते,
गम में अकेले रह गए हम ।।3।।

क्या हिन्दू मुस्लिम करते करते,
भूले हम मानवता महान ।
तुच्छ हल्की बातों में,
भूले अपना धर्म महान ।।4।।

क्षमा कर दें और माँग लें सभी से ,
कुछ नहीं ले जाएंगे हम ।
नाम यश पद पैसा प्रतिष्ठा ,
बस देखते रह जाएंगे हम ।।5।।

अकेले आये थे 
वैसे ही जाना है ,
तत्त्व ये शाश्वत कब माना है ?
कब किसका नम्बर आ जाये ,
जल्दी भज लो आतमराम ।।6।।

होता जगत स्वयं परिणाम,
मैं जग का करता क्या काम ?
सबके मंगल की कामना करते,
हो रहा आत्मस्थ अब अनेकान्त ।।7।।

Saturday, April 24, 2021

महावीर जन्मकल्याणक अष्टक


तीर्थंकर महावीर जन्मोत्सव प्राकृत अष्टक 

तित्थयर-महावीर-जम्मोस्सवो

(पागद-अट्ठगं )

णमो महावीरस्स 

पुप्फोतराभिहाणा तिेसिलागब्भासाढसिदछट्ठम्मि 

अवइण्णमहावीरो तित्थयरो य जइणधम्मस्स ।।1।।

भावार्थ -

स्वर्ग के पुष्पोत्तर विमान से च्युत होकर आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन माता त्रिशला के गर्भ में जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान् महावीर अवतरित हुए ।

तत्थ अट्ठदिवसाहिय णवमासपुण्णकरिदूण विदेहे  

वेसालीकुण्डउरे णाहसिद्धत्थनंदवत्ते ।।2।।

भगवं सुजम्मइसाए णवणवइपंचसयवस्सपुव्वम्मि ।

चेत्तसिदतेरसीए सुहे उत्तरफग्गुणिरिक्खे ।।3।।

भावार्थ

गर्भ में नौमाह आठ दिन पूर्ण करके भारत वर्ष के विदेह देश के वैशाली कुंडनगर में नाथ वंशी राजा सिद्धार्थ के नान्द्यावर्त नामक महल में ईसा के पांच सौ निन्यानबे (५९९)वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ल त्रियोदशी के दिन शुभ उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में भगवान् महावीर का शुभ जन्म हुआ।

दट्ठूण सिंहचिण्हं वीरदाहिणपायंगुट्ठणहम्मि ।

होहिइ खलु तित्थयरो णायगवरमोक्खमग्गस्स ।। 4।।

उस दिव्य बालक वीर के दाहिने पैर के अंगूठे के नाखून पर सिंह का चिन्ह देख कर (यह भविष्यवाणी कर दी गयी थी कि)निश्चित ही ( यह बालक धर्म तीर्थ का कर्त्ता )तीर्थंकर और  मोक्षमार्ग का श्रेष्ठ नेता होगा ।

                              सिंहवीरचिण्हमत्थि,तत्तो च तित्थयरमहावीरस्स । वेसालिथम्भस्स खलु पडीयभारयसरयारस्स  ।।5।।

तब से ही सिंह निश्चित ही तीर्थंकर महावीर का और वीरता का चिन्ह है तथा आज वैशाली का सिंह स्तम्भ तथा भारत सरकार का प्रतीक है ।

 पढमे खलु गणतंते वेसालीए होही जस्स जम्मं ।

धम्मदंसणे ठवीअ वि गणतंतं य महावीरो  ।।6।।

निश्चय ही विश्व के प्रथम गणतंत्र वैशाली में जिनका जन्म हुआ और उन भगवान् महावीर ने धर्म दर्शन के क्षेत्र में भी गणतंत्र की स्थापना की ।

अप्पा सो परमप्पा णत्थि कोवि एगो इस्सवरो लोए ।

णत्थि कोवि कत्ता खलु लोअस्स य केवलं णाया ।।7।।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक आत्मा परमात्मा है ,लोक में कोई एक ईश्वर नहीं है ,निश्चित ही इस लोक का कोई भी कर्त्ता नहीं है और वह परमात्मा केवल ज्ञाता (दृष्टा) है ।

 जीवसयमेव कत्ता,सुहदुक्खाणं य सयं कम्माणं ।

सव्वकम्मनस्सिदूण, भत्तो वि य भगवन्तो हवइ ।।8।।

(उन्होंने समझाया कि) अपने सुख-दुखों का और अपने कर्मों का जीव स्वयमेव कर्त्ता है, अपने सभी कर्मों का नाश करके भक्त भी भगवान् हो जाता है । 


Thursday, April 1, 2021

समकालीन प्राकृत कविता 1 अप्रैल मूर्ख दिवस

मुक्खदिअसम्मि पढमो , अप्पइलमासे वित्तवस्सारम्भो ।
किं अच्छरियं य इमे ? जदि उलूयलच्छीवाहणं ।।

अप्रैल के प्रथम मूर्ख दिवस पर वित्त वर्ष प्रारम्भ होता है और इसमें आश्चर्य क्या है यदि लक्ष्मी का वाहन उल्लू है ?