कुमार अनेकान्त की कवितायें
Monday, October 25, 2021
भूकंप के झटके
पुण्य भाव से हट के
पाप कार्य से सट के
कर्ता भाव में अटके
संसार में हम भटके
पर भावों को ही रट के
खुद से ही रहते कट के
प्रकृति को हम क्यों खटके
आ गये भूकंप के झटके
-कुमार अनेकान्त
Monday, October 11, 2021
जन्नत न् मिली
न शहीदों में नाम आया न दीवानों में
हम लुट भी गए शहादत न मिली
जीते रहे उनके नाम पर यूँ ही
मर भी गए और जन्नत न मिली
कुमार अनेकान्त
सब कुछ था पर वैराग्य नहीं था
तन था मन था संयममय जीवन था
ज्ञान प्रवचन और भक्ति भजन था
करुणा थी लबालब आतम में
जगत सुधरे इसका भरपूर जतन था
स्वाध्याय तीर्थ उपदेश प्रचुर था
धर्म फैलाने में भरपूर मगन था
पर इस भव को सार्थक करने
सब कुछ था पर वैराग्य नहीं था
कुमार अनेकान्त
11/10/2021
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