कुमार अनेकान्त की कवितायें
Monday, October 25, 2021
भूकंप के झटके
पुण्य भाव से हट के
पाप कार्य से सट के
कर्ता भाव में अटके
संसार में हम भटके
पर भावों को ही रट के
खुद से ही रहते कट के
प्रकृति को हम क्यों खटके
आ गये भूकंप के झटके
-कुमार अनेकान्त
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