खुदकुशी
- कुमार अनेकान्त ©
दिमाग को जाने क्यों अपनों से ही गिला है ।
कि दायाँ हाथ बाएं को काटने पे तुला है ।।
शजर खुद की शाखा से करे मुखालिफत ।
नादान अपनी ही जड़ खोदने पे तुला है ।।
बुजुर्ग बुरा वक्त इसे ही तो कहते आये हैं ।
लड़ें अपनों से जब दुश्मन सामने खड़ा है ।।
ये भी तो बुरे वक्त की दस्तक ही समझिए ।
जब आफ़रीं का लब भी गाली से खुला है ।।