Monday, October 24, 2022

बधाई या विज्ञापन

दिवाली पर
उनकी एक लाइन की शुभकामना
और साथ में दुकान का ,फैक्ट्री का और कंपनी का,पार्टी का इतना बड़ा ज्ञापन 
समझ नहीं आ रहा

बधाई है या विज्ञापन ? 

- कुमार अनेकान्त

Sunday, October 23, 2022

मिलते जुलते रहा करो


भूलो कड़वी पुरानी बातें
अब इतना भी न गिला करो 
होली दीवाली के ही बहाने 
मिलते जुलते रहा करो 

फट जाए यदि उसका हृदय 
नेह सूत्र से सिला करो 
हाल पूछने के ही बहाने 
मिलते जुलते रहा करो 

रूठे यदि तुम भी तो बोलो 
जोड़ेगा फिर कौन उसे ?
जिल्लत सहकर भी 'अनेकान्त'
उसके संग खड़े रहा करो 

 - कुमार अनेकान्त©


Tuesday, October 18, 2022

खुदकुशी

खुदकुशी

 - कुमार अनेकान्त ©

दिमाग को जाने क्यों अपनों से ही गिला है ।
कि दायाँ हाथ बाएं को काटने पे तुला है ।।

शजर खुद की शाखा से करे मुखालिफत ।
नादान अपनी ही जड़ खोदने पे तुला है ।।

बुजुर्ग बुरा वक्त इसे ही तो कहते आये हैं ।
लड़ें अपनों से जब दुश्मन सामने खड़ा है ।।

ये भी तो बुरे वक्त की दस्तक ही समझिए ।
जब आफ़रीं का लब भी गाली से खुला है ।।