Monday, August 31, 2020

एक और दसलक्षण हो गया

*एक और दसलक्षण हो गया*

कुमार अनेकान्त

राग विराग हो गया 
धर्म का संरक्षण हो गया 
हम कुछ भीगे कुछ रीते
एक और दसलक्षण हो गया 

हुए व्रत एकासन यथाशक्ति
हुआ स्वाध्याय पूजन यथाभक्ति
भूले बिसरे संस्कारों का पुनः शिक्षण हो गया 
एक और दसलक्षण हो गया 

अब शेष वर्ष समीक्षा है 
सीखा जो उसकी  परीक्षा है
अपनी आत्म यात्रा का 
एक और भ्रमण हो गया 
एक और दसलक्षण हो गया 

1/09/2020
drakjain2016@gmail.com

Friday, August 21, 2020

मैं इस तरह दसलक्षण कर लूंगा

*मैं इस तरह दसलक्षण कर लूंगा*

@कुमार अनेकान्त
22/08/2020

मत खुलने दो चैत्यालय मंदिर ,
मैं फिर भी दर्शन कर लूंगा ।
जो रूप बसाया है चित्त में,उसकी अनुभूति कर लूंगा ।।

मैं इस तरह दसलक्षण कर लूंगा ।

महामारी ने हमें संसार का, वास्तविक स्वरूप दिखाया है ।
क्रिया कांड से परे धर्म का ,
मूल स्वरूप समझाया है ।।

मैं प्रक्षाल स्वयं के दोषों का ,
प्रतिदिन प्रातः कर लूंगा ।
निज चैतन्य की शांति धारा कर,
व्रतों की बोली ले लूंगा ।।

मैं फिर भी अभिषेक कर लूंगा ।


युग बीता मंदिर जाते,किन्तु न आतम बोध हुआ ।
स्वाध्याय सुना पर किया नहीं ,
बस क्रियाओं में ही
उलझा हुआ ।।

अब कोई अवलंबन नहीं , मैं खुद ही मंदिर हो लूंगा ।
गुरु चरणों को भी,
आचरण से अपने छू लूंगा ।।

मैं खुद ही मंदिर हो लूंगा ।

हमने दसलक्षण बहुत किये ,
पर मन दसलक्षण नहीं हुआ ।
व्रत पर्वों पर भी 
मंदिर में,
बस मान आदि ही पुष्ट हुआ ।।

अब क्रोध मान माया लोभ का ,
पूर्ण समर्पण कर दूंगा ।
इनके अभाव से स्वयं ही अब मैं आत्मदर्शन कर लूंगा ।।

मैं इस तरह दसलक्षण कर लूंगा ।मैं इस तरह दसलक्षण कर लूंगा।।

drakjain2016@gmail.com

Friday, August 14, 2020

स्वतंत्रता दिवस

आज भारत को इंडिया से आजादी चाहिए ।
दे सकते हैं .....?
निज भाषा उन्नति अहैं... 
कर सकते हैं ?
संस्कृत को राष्ट्रीय भाषा 
कह सकते हैं ?
अपने ही घर में 
सर उठा कर 
जी सकते हैं ?
बंदे मातरं को
राष्ट्रीय अभिवादन 
बोल सकते हैं ?

क्या खुद की 
आजादी को 
जी सकते हैं ?

यदि हाँ 
तो 
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक 
शुभकामनाएं 
अन्यथा 
चलो मिलकर 
सिर्फ औपचारिकता 
निभाएं ।

कुमार अनेकान्त 
15/08/2020

Thursday, August 13, 2020

तुम भी यार कॅरोना निकले

*तुम भी यार कॅरोना निकले* 

झूठ ही बिकता रहा बाज़ार में,
दाम बहुत पर ऊपर निकले ।
सच्चाई की भीख मांगने,
लेकर हम कटोरा निकले ।।

अंदर बैर बैठा ही रहा,
मंदिर मस्जिद सैर को निकले ।
क्रीम पाउडर हल्दी उबटन ,
देखें कौन सलोना निकले ।।

एहसानों को सह न पाए ,
अच्छे अच्छे सपोला निकले ।
उफ रिश्तों से इतनी दूरी,
तुम भी यार कॅरोना निकले ।।

कुमार अनेकान्त 
14/08/2020