Monday, July 26, 2021

यथार्थ

यथार्थ 


यहां जिसकी जितनी है जरूरत ,

बस उसकी उतनी है अहमियत ।

शौक हो तो करते रहिए उपकार ,

वर्ना खोजते ही रहेंगे इंसानियत ।।


जिंदगी भर पाले रहते हैं वहम,

कि हम ही हैं सबके लिए अहम ।

लोग नाम भूल जाएंगे आपका ,

गायब होकर देखिए एकदम ।।


आप रहें न रहें फर्क कुछ भी नहीं ,

दिन तेरह भी नहीं टिकती यादें ।

आप कुछ भी कहते सिखाते रहें ,

यहीं रह जाती हैं यहां की बातें  ।।

वक्त रुकता है न जमाना बदलता है ,

संसार अपनी ही चाल से चलता है ।

चाहे कितने भी प्यार से पालो पंक्षी ,

सूखा पेड़ तो ठिकाना बदलता है ।।

कुमार अनेकान्त 

26/07/2021


Saturday, July 17, 2021

अणुवमाहिणंदणं

*अणुवमाहिणंदणं* 

जइण-गणिय-सुदविउसो ,
अणुवमो करणाणुओय-सुविण्णो ।
जिणवाणी-सुपुत्तस्स ,
इह मणुभवो सुसहलो होदु ।।

अनुपमाभिनंदन

जैन गणित के श्रुतधर विद्वान ,करणानुयोग के अनुपम सुविज्ञ ,जिनवाणी के सुपुत्र का यह मनुष्य भव सुसफल होवे । 

डॉ अनेकान्त जैन ,नई दिल्ली

Friday, July 9, 2021

आईना

आईना हो तो अपना भी अक्स नजर आए , 
दूरबीन ही रखते हैं बुराई वाले ।

AKJ
9/7/2021

Tuesday, July 6, 2021

अंदाज़

*वो बदल सा जाता है*

© कुमार अनेकान्त
    (6/07/2021)

खुद को ही देखते देखते,
जवां मौसम ढल सा जाता है ।
अंदाज़ अपने आईने में देखकर ,
गुरूर हुस्न का बढ़ सा जाता है ।।

कीमत नहीं समझते ,
रहता है जो नज़दीक ।
जुदाई में अक्सर उसका ,
एहसान याद आता है ।।

जिसको पालो घर पर,
कितना भी अपना समझकर ।
गैरों की छत पाते ही,
वो बदल सा जाता है ।।

Friday, July 2, 2021

हस्ताक्षर

हस्ताक्षर

पूरा अपना नाम लिख दिया था ।
जब पहली बार हस्ताक्षर किया था ।।

सुंदर स्पष्ट अक्षरों में लिखे पूरे नाम को ।
पढ़ हंसी उड़ाई गई मानो पढ़े नाम को ।।

फिर समझाया गया स्पष्ट सुंदर अक्षर ।
चाहे कितने हो प्रिय पर नहीं हैं वे हस्ताक्षर ।।

कोई भी नकल कर लेगा ।
लिख कर तुम्हें ठग लेगा ।।

फिर लिखकर कई कई बार 
 कागज किये बेकार ।
आफत थी ऐसी आयी
खुद के नाम में गूद मचाई ।।

जब कुरूप किये अपने अक्षर ,
तब माने गए वे हस्ताक्षर ।
फिर पढ़ा लिखा सब कहने लगे ,
हम सुलेख का हश्र सहने लगे ।।

ज्यों नाम बढ़ा पद और रुतबा ,
करने पड़े सैकड़ों हस्ताक्षर ।
तब सिकुड़ते गए स्वयं ही ,
मेरी कलम से मेरे हस्ताक्षर ।।

मैं जितना बड़ा होता गया ,
उतने हस्ताक्षर छोटे होते गए ।
मेरे नाम के सारे अक्षर ,
मेरे ही मान में मेरे खोते रहे ।।

कुमार अनेकान्त
3/07/2021