यथार्थ
यहां जिसकी जितनी है जरूरत ,
बस उसकी उतनी है अहमियत ।
शौक हो तो करते रहिए उपकार ,
वर्ना खोजते ही रहेंगे इंसानियत ।।
जिंदगी भर पाले रहते हैं वहम,
कि हम ही हैं सबके लिए अहम ।
लोग नाम भूल जाएंगे आपका ,
गायब होकर देखिए एकदम ।।
आप रहें न रहें फर्क कुछ भी नहीं ,
दिन तेरह भी नहीं टिकती यादें ।
आप कुछ भी कहते सिखाते रहें ,
यहीं रह जाती हैं यहां की बातें ।।
वक्त रुकता है न जमाना बदलता है ,
संसार अपनी ही चाल से चलता है ।
चाहे कितने भी प्यार से पालो पंक्षी ,
सूखा पेड़ तो ठिकाना बदलता है ।।
कुमार अनेकान्त
26/07/2021