Monday, July 26, 2021

यथार्थ

यथार्थ 


यहां जिसकी जितनी है जरूरत ,

बस उसकी उतनी है अहमियत ।

शौक हो तो करते रहिए उपकार ,

वर्ना खोजते ही रहेंगे इंसानियत ।।


जिंदगी भर पाले रहते हैं वहम,

कि हम ही हैं सबके लिए अहम ।

लोग नाम भूल जाएंगे आपका ,

गायब होकर देखिए एकदम ।।


आप रहें न रहें फर्क कुछ भी नहीं ,

दिन तेरह भी नहीं टिकती यादें ।

आप कुछ भी कहते सिखाते रहें ,

यहीं रह जाती हैं यहां की बातें  ।।

वक्त रुकता है न जमाना बदलता है ,

संसार अपनी ही चाल से चलता है ।

चाहे कितने भी प्यार से पालो पंक्षी ,

सूखा पेड़ तो ठिकाना बदलता है ।।

कुमार अनेकान्त 

26/07/2021


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