कुमार अनेकान्त की कवितायें
Friday, April 30, 2021
दो अभिव्यक्ति
ये चले गए वो चले गए,
निज शोक को कैसे उठाएं ?
जी रहे हैं पर यकीं नहीं हैं ,
किस रोज किसका
नम्बर लग जाये ?
कुमार अनेकान्त
आंखों के लिए भी एक मास्क चाहिए ,
कि अब ये मंजर देखा नहीं जाता ।
कुमार अनेकान्त
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