*शून्य हो गया हूँ*
*चक्खु अणीरो जड़ो,* *कण्णो सुण्णं हवइ दुक्खकाले* ।
*अहं वि सुण्णवय होमि*,
*पइदिणं वियोगं दट्ठूण।।*
कोरोना के कारण प्रतिदिन मनुष्यों का वियोग देखकर इस दुख के समय में आंखें भी अश्रु रहित जड़ हो गईं हैं,कान सुन्न हो गए हैं और मैं भी शून्य सा हो गया हूँ ।
😥
कुमार अनेकान्त😳
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