Tuesday, May 11, 2021

उपकार ( समकालीन प्राकृत कविता )

संयटे य सहजोगं,जीवणस्स रक्खणं उत्तमसया ।
उवयारविण्णावणं,दट्ठूण य पुण मरणं होइ ।।

संकट के समय सहयोग और जीवन की रक्षा हमेशा उत्तम होती है ( किन्तु) उस उपकार का विज्ञापन( एहसान जताना  ) देखकर उसका पुनः मरण हो जाता है ।अर्थात उसे ऐसा लगने लगता है कि इनके ऐसे सहयोग से तो अच्छा होता मैं बिना  सहयोग के ही रह जाता ।

कुमार अनेकान्त
11/05/2021

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