Monday, May 17, 2021

अव्यक्त दर्द

अव्यक्त दर्द !

मन के 
किसी कोने में
तुम्हारी यादों का 
एक संग्रहालय
हमेशा बना रहता है 
जिसमें हृदय के 
कुछ भग्नावशेष 
मन ही मन लिखे 
सैकड़ों पत्रों की 
पांडुलिपियां
बीते दिनों का पुरातत्व
और 
मन ही मन रची गईं
तुम्हारी असंख्य मूर्तियां
तुम्हारे सौंदर्य 
की कलाकृतियां
और 
पीड़ा जन्य कविताएं
अभी भी सहेज कर 
रखीं हुईं हैं 
इस आशा में कि
कोई तो होगा 
जो अनुसंधान करेगा 
और खोज लेगा 
अव्यक्त दर्द !

©कुमार अनेकान्त

18 मई विश्व संग्रहालय दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ

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