Saturday, July 13, 2019

संसार

संसार
कभी नीचे से आकाश
देखो तो कितना बड़ा
नजर आता है !

किसी ऊंची जगह से
नीचे देखो तो सबकुछ
कितना छोटा
नजर आता है !
यह मनुष्य भव
कितना सा ?
ज्यादा से ज्यादा
९०- १०० वर्ष ?

अगणित वर्ष की आयु
देव और नरक गति
में बिताने के बाद भी
हम इन ७०/८० या
१०० वर्षों को कितना
ज्यादा महत्त्व देते हैं ?
इन्हीं वर्षों में खूब
राग द्वेष और बदला ,
इसने मेरा ये ले लिया
इसने मुझे ये नहीं दिया
मुझे ये बनना है
वो बनना है
इसको हराना है
उसको पाना है
इतना कमाना है
यहां घूमना है
वहां घूमना है
तृप्त ही नहीं होती
आशाएं
जो आकाश से भी
बड़ी हैं
ऊपर से देखो तो
सब कुछ बौना
नजर आता है
जमीं पर रहकर देखो
बस संसार
नज़र आता है
इसी भव में ही
सार नज़र आता है
- कुमार अनेकांत ©
८/७/२०१९

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