कुमार अनेकान्त की कवितायें
Sunday, September 6, 2020
कभी सपना नहीं आया तो कभी देखना नही आया
कहीं नक्शे के मुताबिक जमीं न मिली ,
कहीं मिली तो नक्शा बनाना नहीं आया ।
बैठा ही ना सके अरमानों को
हैसियत के ढांचे में,
कभी सपना नहीं आया तो कभी देखना नही आया ।।
(कुमार अनेकान्त 6/09/2020)
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