दोस्ती
ता उम्र हमने दोस्ती की इबादत की है ,
कमबख्त लोग एक दिन मुकरर कर बैठे |
हम नहीं जानते क्या है मतलब इसका ,
जो जरा मुस्करा के मिला,इकरार कर बैठे ||
उनके वजूद से ही खुद का वजूद माना,
बेरुखी उनकी थी और हम गुनहगार बन बैठे |
अब इस ऐतबार को आप चाहे जो कहें ,
उसने दिन को कहा रात और हम सो बैठे ||
- कुमार अनेकांत
2/08/2018
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