Wednesday, January 20, 2021

समकालीन प्राकृत कविता 23(मुग्गस्स अप्पकहा )

*मुग्गस्स अप्पकहा*
( मुर्गे की आत्मकथा )

मम य णत्थि मरणभयं,वड्डफ्फुसंकमणं जदि भविस्सदि ।
पालणं मारणत्थं,
सामिसा य हरन्ति जीवणं ।।


भावार्थ - 

मुझे बर्डफ्लू संक्रमण यदि हो जाएगा तो भी मरण से भय नहीं है,(क्यों कि)
हमारा तो पालन भी मारण के लिए ही किया जाता है और मांसाहारी लोग हमारा जीवन हरण कर लेते हैं ।
अनेकान्त
10/1/2021

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