Friday, January 8, 2021

जिणधम्मो

जत्थत्थि अणेयंतं ,सियवायं
सुणयं रयणत्तयं य ।

अहिंसा संजमजत्थ,  तत्थ खलु होई जिणधम्मो ।।

जहां अनेकान्त है,स्याद्वाद है,सुनय है,रत्नत्रय है,अहिंसा है और संयम है,निश्चित रूप से वहीं जिन धर्म है ।

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