कुमार अनेकान्त की कवितायें
Thursday, November 24, 2022
इबादत गाह बनाम सैरगाह
सैरगाह मत कहो खुदा के दर को शहंशाह ।
वहाँ हम इबादत को जाते हैं सैर को नहीं ।।
©कुमार अनेकान्त
24/11/22
#saveshikharji
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