क्षमा याचना की सीमा
*तिव्वकसायजुत्तं य मूढमणुस्सं* *खमा हु ण यायव्वा।*
*वरं अप्पम्मि ठिदूण*
*भावेण सुद्धो भवियव्वो*।।
तीव्रकषाययुक्त और मूर्ख मनुष्य से कहकर क्षमा याचना नहीं करनी चाहिए ,इससे तो अच्छा है आत्मस्थ होकर (उन्हें क्षमा कर देना चाहिए और अंदर ही अंदर) भावों विशुद्धि प्राप्त करनी चाहिए ।
डॉ अनेकान्त कुमार जैन
27/09/2021
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