कुमार अनेकान्त की कवितायें
Wednesday, September 29, 2021
तुम पटाते हो हम पट जाते हैं
तुम ठगते हो
हम ठग जाते हैं
तुम रुलाते हो
हम रो लेते हैं
तुम हँसाते हो
हम हँस लेते हैं
लाख गुस्ताखियां
भी माफ़ करके तेरी
तुम पटाते हो
हम पट जाते हैं ।
©कुमार अनेकान्त
29/09/2021
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