सद्दो वि खलु भोयणं , सादो वि हवइ वरं चखदु पढमं ।
जइ ण अणुभवइ दुक्खं , हवदि अण्णं वि सुहकारणं ।।
शब्द भी भोजन हैं ,उसमें स्वाद भी होता है,इसलिए दूसरों को परोसने से पहले खुद चख लेना चाहिए । यदि वह आपको खराब नहीं लगता है ,(स्वादिष्ट लगता है )तभी वह अन्य को भी सुख का कारण बनेगा ।
कुमार अनेकान्त
22/06/25