Monday, June 25, 2018

क्षणिकाएं

*क्षणिकाएं*

-कुमार अनेकान्त

*बोली*

हम लगवाएं
तो धर्म
दूसरे लगवाएं
तो व्यवसाय

*दान*

हमें दो
तो पुण्य
उन्हें दो
तो पाप

*सम्यग्दर्शन*

हमें मानो
तो सम्यग्दृष्टि
अन्य को मानो
तो मिथ्यादृष्टि

*पुण्य-पाप*

हम कुछ भी करें
वो पुण्य
तुम कुछ भी करो
वो पाप

धर्म-अधर्म का आधार
कब का डूब मरा
खरा सो मेरा
नहीं ,अब
मेरा सो खरा

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