Monday, May 16, 2022

खुदाई का हर पत्थर बोलेगा

*खुदाई का हर पत्थर बोलेगा*

दबा ले कोई कितना भी 
एक रोज़ उभर के निकलेगा 
शासन था जिनेन्द्र का 
खुदाई का हर पत्थर बोलेगा 

तीर्थ जो हैं संभलते नहीं 
नए को कौन संभालेगा ?
जैन हैं मुट्ठीभर बिखरे से 
हड़पे को कौन निकालेगा ?

उलझे पंथों के झगड़े में 
अस्तित्व कौन बचाएगा ?
कुल्हाड़ी अपने ही पैरों पर 
गर मारे तो कहाँ जायेगा ? 

चेतन हो गए गर जड़ ,
तो मोक्ष कौन जाएगा ?
निठल्ले हों गर पूत 
तो धर्म कौन बचाएगा ? 

©कुमार अनेकान्त

No comments:

Post a Comment