Tuesday, June 11, 2024

मम दुक्खं हु परिक्खा

मम दुक्खं हु परिक्खा
अण्णस्स अत्थि दुस्कम्मस्स फलं ।
जीवणे पक्खवादो
दुल्लहो खलु अप्पदंसणं ।।


भावार्थ -
जो मुमुक्षु अपने खुद के दुःख को परीक्षा और
दूसरों के दुःख को कर्मों की  सजा मानते हैं,उनके जीवन में इतना पक्षपात है कि आत्मदर्शन दुर्लभ है ।

कुमार अनेकांत

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