Sunday, March 10, 2024

आपने में अपनापन - प्राकृत गाथा

संसारसुलहो होदि 
परेसु खलु परत्ताणुसंधाणं ।
अप्पणेसु अपणत्तं 
अणुसंहाणदुल्लहो होदि ।।


इस संसार में पराये लोगों में पराये पन को खोजना भले ही आसान हो लेकिन अपनों में अपनापन खोजना वास्तव में दुर्लभ है  । 

दूसरा अर्थ 

पर में पराये पन का बोध फिर भी आसान है लेकिन अपनी आत्मा में अपनापन दुर्लभ है - इस संसार में कितना आश्चर्य है ? 

कुमार अनेकांत
11/3/2024

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