कुमार अनेकान्त की कवितायें
Tuesday, March 8, 2022
पवित्र भाव
पवित्रभाव हैं सो लेखनी देती कछु लिखाय ,
अर्थ निकालें लोग सब जिसकी जितनी कसाय ।
जिसकी जितनी कसाय कि कछु भावना न समझें ,
है पंचम काल को दोस,मति कछु एसई समझें ।।
कुमार अनेकान्त
9/3/2021
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