Wednesday, March 30, 2022

बंदों की बंदगी

ख़ुश होकर भी कौन सा निहाल करते हो, 
क्यों वक्त जाया करें तुम्हें रिझाने के लिए ।
गुनाह ही है बन्दों की बंदगी हर पल ,
कुछ शख्स जीते ही हैं नाराजगी के लिए ।।

 -कुमार अनेकांत

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