कुमार अनेकान्त की कवितायें
Wednesday, March 23, 2022
तस्वीर
तस्वीर कुछ ऐसी भी बनायी जाये ,
न रहें हम तो हमारी शक्ल भी जानी जाये |
कागजो के चित्र तो ख़त्म हो ही जाते हैं,
जो बसे नजरों में वो न भुलाये जाएँ ||
-कुमार अनेकांत(2015)
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