Tuesday, April 11, 2023

मैं नाविक तू नाव हमारी


मैं नाविक तू नाव हमारी 

मत तुम मुझको विद् कह पुकारो
यह मात्र भ्रमों का उपवन है 
क्यों कहूँ एक ही बात सलोनी 
यहां प्रति वर्ष ही तो मंथन है 

परिवर्तन पल में परिणामों का 
ज्ञान ऋजुता क्यों कर पाए 
बात अधूरी ही रहती है 
वह कभी भी पूरी हो न पाए 

स्वयं से छल विचित्र दशा है 
स्वयं को भूला लुटा पड़ा है
पर भक्ति अनुराग सुधा  में 
सारा जीवन निःस्वार्थ लुटा है 

एक पल भी चैन नहीं 
पर ज्ञेयों में मन यह उलझे 
स्वयं के पद की अभिलाषा 
फिर करनी में कैसे सुलझे 

रुक जाए ही तुझ पर मेरी 
चंचल ज्ञान की परिणति सारी 
फिर क्षण में तारें भव सागर 
बन मैं नाविक तू नाव हमारी 

प्रिय  DrRuchi Anekant Jain को
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ  
13/04/23

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