सराग सम्यग्दर्शन
मंदकसाओ पसमो असारसंसारभओ संवेगो ।
जीवदया अणुकंपा , तच्चसद्धा खलु अत्थिक्कं ।।
भावार्थ -
मंद कषाय भाव 'प्रशम', असार संसार से भय 'संवेग',जीवों के प्रति दया का भाव 'अनुकंपा' और जीवादि तत्त्वों के प्रति विश्वास 'आस्तिक्य' कहलाता है । (इन चार लक्षणों से युक्त सराग सम्यग्दर्शन होता है ।)
कुमार अनेकान्त
28/08/25