कुमार अनेकान्त की कवितायें
Friday, August 1, 2025
बहुत मुश्किल है बच पाना
जहां को जीतकर भी जहाँ भाता है हारते चला जाना ।
उसके सजदे में सर का खुद ब खुद
यूं झुकते चला जाना ।।
जान से प्यारे पर ही जान का कुर्बान हो जाना ।
मोहब्बत की इस रिवायत से बहुत मुश्किल है बच पाना । ।
कुमार अनेकान्त
2/08/25
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