Wednesday, August 27, 2025

सराग सम्यग्दर्शन

सराग सम्यग्दर्शन 


मंदकसाओ पसमो असारसंसारभओ संवेगो ।
जीवदया अणुकंपा  , तच्चसद्धा खलु अत्थिक्कं ।।

भावार्थ - 
मंद कषाय भाव 'प्रशम', असार संसार से भय 'संवेग',जीवों के प्रति दया का भाव 'अनुकंपा' और जीवादि तत्त्वों के प्रति विश्वास 'आस्तिक्य' कहलाता है । (इन चार लक्षणों  से युक्त सराग सम्यग्दर्शन होता है ।)

कुमार अनेकान्त 
28/08/25

No comments:

Post a Comment